Vastu Shashtra : Swastik (SK-7)


स्वस्तिक होय स्वस्तिक जिस घर में, मंगल होवे द्वार । विष्णु संग लक्ष्मी चले, आय आपके द्वार । आय आपके द्वार, भक्त खड़े सब कर-जोड़। पधारो महाराज, आप लक्ष्मी यहीं छोड़ ।। कह ‘वाणी’ कविराज, नहीं कभी निर्धन रोय। लेवे सेठ उधार, जहां स्वस्ति वाचन होय ।।
शब्दार्थ: पधारो = आने-जानेवाले के लिए, सम्मान जनक शब्द, लक्ष्मी = धन की देवी
भावार्थ:
फ्रंट इलेवेशन में उच्च स्थान पर बड़ा-सा स्वस्तिक अति शुभ माना गया है। उसके अलौकिक आकर्षण से कभी लक्ष्मी को संग लिए विष्णु भी मार्निंग-वाक करते हुए आपके द्वार तक चले आवेंगे। द्वार पर खड़े प्रतीक्षारत भक्तगण निवेदन करेंगे कि हे प्रभु! हमारा विशेष निवेदन यह है कि आप अपनी प्राण-प्रिया लक्ष्मी को हमारे यहीं छोड़दें। भक्त वत्सल, वरदायी विष्णु के श्रीमुख से भक्तों के लिये नहीं शब्द तो आज तक कभी निकला ही नहीं।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि ऐसी घटनाओं के पश्चात् कोई निर्धन नहीं रोएगा। बड़े-बड़े सेठ उससे उधार लेंगे परंतु यह तब संभव होगा जब उस भवन में नियमित स्वस्तिवाचन भी होता रहे।
वास्तु शास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया



2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

स्वास्तिक के कई लाभ हे क्या आप हमें विस्तार से समजने का प्रयास करेंगे
b.k. sharma delhi

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

अच्छी पोस्ट लिखी है।

कॉपीराइट

इस ब्लाग में प्रकाशित मैटर पर लेखक का सर्वाधिकार सुऱक्षित है. इसके किसी भी तथ्य या मैटर को मूलतः या तोड़- मरोड़ कर प्रकाशित न करें. साथ ही इसके लेखों का किसी पुस्तक रूप में प्रकाशन भी मना है. इस मैटर का कहीं उल्लेख करना हो तो पहले लेखक से संपर्क करके अनुमति प्राप्त कर लें |
© Chetan Prakashan