Vastu Shashtra : Mrdangnuma bhavan / Plot Like Mridang (Drum) (SK-21)



मृदंगनुमा भवन मृदंगनुमा भवन भई, ढोलक जैसा होय। बरतन बाजे ढोल से, ढोला ऐसा रोय ।। ढोला ऐसा रोय, संग मरवण भी रोवे। डाक्टर आवे रोज, श्मशान अचानक जोवे।। कह वाणी’ कविराज, बदलो यह जीवन ढंग। नई पत्नी आवे, तुम त्यागो भूमि मृदंग।।
शब्दार्थ: ढोला = भवन का मालिक, मरवण = मालकिन (ढोला की पत्नी), मृदंग = मृदंग जैसा भूखण्ड, जोवे = देखना, भई = भ्राता
भावार्थ:
मृदंगनुमा भवन दिखने में ढोलक जैसे होते हैं। वहां प्रतिदिन भांति-भांति के विवाद होते रहते हैं, जिनमें रसोई के सारे बरतन ढोल की तरह बजने लगते हैं, ढोला को रोता हुआ देख मरवण भी मन ही मन आंसू बहाती है। उस घर में बीमारी ऐसी निर्लज्ज मेहमान बनकर रहती है कि उसे भगाते भगाते कई डाक्टर भाग जाते हैं पर बीमारी नही भागती है और एक दिन अचानक ही बीमारियों के हेड क्वार्टर श्मशान घाट से अर्जेण्ट काल आ जाता है।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि आपका जीवन अब भी पहले से श्रेष्ठ बन सकता है। एक सुन्दरी, पल्ली बन घर-- गृहस्थी जमा देगी। तुम्हें तो बस इतना सा करना है कि या तो यह मृदंगनुमा भूखण्ड त्याग दो या इसे आयताकार में बदलने के पश्चात् ही निर्माण कार्य कराए।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया






कोई टिप्पणी नहीं:

कॉपीराइट

इस ब्लाग में प्रकाशित मैटर पर लेखक का सर्वाधिकार सुऱक्षित है. इसके किसी भी तथ्य या मैटर को मूलतः या तोड़- मरोड़ कर प्रकाशित न करें. साथ ही इसके लेखों का किसी पुस्तक रूप में प्रकाशन भी मना है. इस मैटर का कहीं उल्लेख करना हो तो पहले लेखक से संपर्क करके अनुमति प्राप्त कर लें |
© Chetan Prakashan