उत्तर दिषा आवास की ,समझो धन का वास ।
चयन कमरे का करना , यही चयन है खास ।।
यही चयन है खास , रखें वहीं पर तिजोरी ।
कोण जहां नैऋत्य , रखें कुछ वहां तिजोरी ।।
कह ’वाणी’ कविराज , वहीं स्फटिक का श्रीयंत्र ।
पल-पल में धनवान , ऐसा यह अचूक मंत्र ।।
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वास्तु उपहार
वास्ता गहरा वास्तु से , देता हूंॅ उपहार ।
जहाॅं-जहाॅं हीरे मिले , वहीं बनाए हार ।।
वहीं बनाए हार , कलम ने खूब तराषा ।
रहें हृदय के माय , मुझे ऐसी ही आषा ।।
कह ‘वाणी’ कविराज , रास्ता दिखाए रास्ता ।
दिन-दिन करो विकास , जिनका गहरा वास्ता ।।
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नफा मिले तत्काल
यदि घाटे में चल रही , फेक्ट्र्ी और दुकान ।
आठ पहर कहते यही , पार लगा भगवान ।।
पार लगा भगवान , बिठा गणपति महाराज ।
अन्दर और बाहर , मुख्य द्वार पर तुम आज ।।
कह‘वाणी’कविराज , आमद ऐसी बढ़ रही ।
नफा मिले तत्काल , यदि घाटे में चल रही ।।
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चयन कमरे का करना , यही चयन है खास ।।
यही चयन है खास , रखें वहीं पर तिजोरी ।
कोण जहां नैऋत्य , रखें कुछ वहां तिजोरी ।।
कह ’वाणी’ कविराज , वहीं स्फटिक का श्रीयंत्र ।
पल-पल में धनवान , ऐसा यह अचूक मंत्र ।।
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वास्तु उपहार
वास्ता गहरा वास्तु से , देता हूंॅ उपहार ।
जहाॅं-जहाॅं हीरे मिले , वहीं बनाए हार ।।
वहीं बनाए हार , कलम ने खूब तराषा ।
रहें हृदय के माय , मुझे ऐसी ही आषा ।।
कह ‘वाणी’ कविराज , रास्ता दिखाए रास्ता ।
दिन-दिन करो विकास , जिनका गहरा वास्ता ।।
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नफा मिले तत्काल
यदि घाटे में चल रही , फेक्ट्र्ी और दुकान ।
आठ पहर कहते यही , पार लगा भगवान ।।
पार लगा भगवान , बिठा गणपति महाराज ।
अन्दर और बाहर , मुख्य द्वार पर तुम आज ।।
कह‘वाणी’कविराज , आमद ऐसी बढ़ रही ।
नफा मिले तत्काल , यदि घाटे में चल रही ।।
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