Vastu Shashtra : Shaktakar Jamin Jhan / Pentagonal Plot (SK-23)


शकटाकार जमीं शकटाकार जमीं जहां, जान जंग-मैदान। बीमारी जाय न कभी, जाय धन और धान ।। जाय धन और धान, क्रोध करते अग्नि-देव। करेगा देव-देव, सुने न कभी महादेव ।। कह ‘वाणी’ कविराज,जीवन भर रह बीमार। छोडूं-छोडूं न कर, छोड़ जमीं शकटाकार।
शब्दार्थ: शकटाकार = बैलगाड़ी जैसी भूमि, जंग = लड़ाई-झगड़ा
भावार्थ:
शकटाकार प्लाट को आप जंग का ओलंपिक मैदान समझ लो। कभी पड़ोसी वर्सेज पड़ोसी तो कभी लड़ाकू पत्नी वर्सेजसज्जन पति के बीच सेमी फाईनल मैच चलते ही रहते हैं। वहां से बीमारी तोजाती नहीं किंतु उसे भगाने के प्रयास में लक्ष्मी चली जाती है। अग्नि-भय सदैव बना रहता है एवं छोटे-मोटे देवी-देवता तो क्या महादेव भी मदद करने नहीं आते।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि यह भूमि जीवन-भर बीमार रखने वाली, त्याज्य भूमि है। तुम इसके लिए छोडूं-छोडूं मत कहो। आज से ही इसे छोड़कर सदैव प्रसन्न रहो। यदि उसे नहीं छोड़ सकते हैं तो वह कोण त्यागकर भूखण्ड को आयताकार बना लेवें।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया



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