Vastu Shastra : Chamcha Jaisi Bhu / Spoon Like Plot (SK-24)


चमचा जैसी भू चमचा जैसी भू जहाँ, चमचा देय बनाय। पंखाकार जिसे कहें, पंखे से धन जाय ।। पंखे से धन जाय, जाय दूधिया जानवर । ना रहते पास पशु, कैसे पास रहते नर ।। कह ‘वाणी कविराज, गया सब, कुछ नहीं बचा। देख जाने वाले, थाली कटोरी चमचा ।। शब्दार्थ: चमचा = चम्मचा / चापलूस व्यक्ति
भावार्थ:

चमचे जैसी आकृति के भवन को चम्मच के भाव ही बेचते हुए उसे शीघ्रछोड़ देना चाहिए, वरना वह भवन आपको चमचा बना कर ही छोड़ेगा। इस आकृति का दूसरा नाम पंखाकार एवं व्यंजनाकार भी है । इसमें पंखे की तेज हवा से कागज के रंग-बिरंगे छोटे-छोटे टुकड़े उड़ जाते हैं। धन ही नहीं दूधिया जानवर भी एक-एक करके चले जाते हैं। जब जानवरही पास नहीं रहते हैं, तो भला मनुष्य बाल-बच्चे वहाँ कैसे रहेंगे।

‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि सुन गृहिणी बहुत कुछ चला गया कुछ नहीं बचा। देखती रहो अब शीघ्र ही तुम्हारे घर के थाली, कटोरी, चम्मच ये भी बिकने वाले हैं। इसलिये शीघ्र ही चमचाकार भवन को त्याग दो। यदि खाली भूखंड है

वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया



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