ॐ महत्तम मंत्र
ॐ महत्तम मंत्र है, लिखो घरों में ओम् ।
जप-जप कर इस मंत्र को, करें घरों में होम ।।
करें घरों में होम, ले सर्वेश्वर का नाम ।
बिना हिलाए हाथ, सफल हो आपके काम ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, पत्थर दिल होवे मोम ।
अश्रु बन बहे मोम, अश्रु सुखाय महा ओम् ।।
शब्दार्थ: ओम = ्रह्म का संकेत, सृष्टि का रचयिता, प्रथम नाद, होम = हवन, अश्रु = आंसू
भावार्थ:
इस चराचर संसार में ओम् का बड़ा ही महत्त्व है। समस्त ब्रह्माण्ड का निर्माण इसी स्वर-नाद से माना जाता है। यदि संभव हो तो घर के ऐसे उच्च स्थान पर ओम् लिखवाना चाहिए कि दूर से ही पढ़ा जा सके। समय-समय पर ओम् से आरंभ होने वाले मंत्रों का उच्चारण करते हुए घरों में हवन भी करवाते रहना चाहिए। ओम सर्वशक्तिमान सर्वेश्वर ब्रह्म का ऐसा चमत्कारिक नाम है कि इससे बिना ही हाथ व जिह्वा हिलाए आपके समस्त कार्य पूर्ण हो सकते ह ैं।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि ओम् के प्रभाव से पत्थर दिल भी मोम बन जाता है। असहनीय कष्ट के क्षणों में वही ओम आंसुओं की गंगा-यमुना बन बहता है। बहते हुए अश्रुओं की अविरल धारा को पलभर में सुखाने की क्षमता भी ओम में ही विद्यमान है। भवन पर ओम् लिखवाना बहुत लाभदायक है ।
वास्तु शास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया
2 टिप्पणियां:
bhut sunder
ऊं तत्सत।।
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