कुल-देव
लगा चित्र दीवार पे, जो होवे कुल-देव ।
खेल करे बालक कहीं,सूरदास के देव ।।
सूरदास के देव, देव अवधपति श्रीराम ।
मोती चुगते हंस, लेय शारदा का नाम ।।
कह ‘वाणी’ कविराज,होगा भवसागरपार ।
वैतरनी तर जाय, ऐसी रंगो दीवार ।।
शब्दार्थ: कुल-देव = पारिवारिक देवता, शारदा = सरस्वती, वैतरनी = स्वर्ग के मार्ग में आने वाली नदी
भावार्थ:
विद्वान गृह स्वामियों को अपने घर की दीवारों पर सर्वप्रथम कल-देव व कल-देवी के चित्र लगाने चाहिए। उसके पश्चात् माखन चोर, कहीं अवधपति श्रीराम का चित्र तो कहीं शारदा का नाम लेकर मोती चुगते हुए हंस । इस प्रकार अलौकिकता लिए हुए सुन्दर सर्व कल्याणकारी चित्र लगावें।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि स्वर्ग-गमन के दौरान वैतरनी नदी भी पूंछ पकड़ कर पार कर सकें इसके लिये पूजा घर में कामधेनु का चित्र अवश्य लगावें। ऐसे मोक्ष-प्रदायी चित्रों से भवन की सभी दीवारें रंग देवें।
वास्तु शास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर .. आपके और आपके परिवार के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!
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