Vastu Shashtra : Mangal Kalash (SK-4)


मंगल-कलश जल का भर मंगल कलश, पल्लव आम लगाय । रख कर श्रीफल रजत का, पूजा-घर ले जाय । पूजा-घर ले जाय, सपत्नी करना पूजन । पावन पूजन होय, भोग लगाय कर भोजन ।। कह ‘वाणी’ कविराज, कलश देगा भाग्य बदल । रख ईश्वर को याद, रहो सदा कुशल-मंगल ।।
शब्दार्थ: आम-पल्लव =आम के पत्ते, श्रीफल ़़= नारियल, रजत = चांदी





भावार्थ:
जल-कलश में आम-पल्लव लगा, रजत-श्रीफल रख पूजा-घर में रखते हुए सपत्नी (यदि हो तो) पूजन करने से घर में सदैव प्रसन्नता बनी रहती है। प्रभु के भोग लगाकर भोजन करने से प्रतिदिन समय पर स्वादिष्ट पकवान मिलते हैं ।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि नियमित जल-कलश की पूजा करने से आपका भाग्य ही बदल जाएगा । ईश्वर को सदैव याद रखेंगे तो आपही नहीं आपका पूरा परिवार हर दृष्टि से सकुशल रहेगा ।
वास्तु शास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया



4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

मंगल-कलश
AMRIT WANI KO BAHHUT BAHUT BADHAI IS BLOG KE LIYE

B.K SHARMA DELHI

Udan Tashtari ने कहा…

आभार!!

Divya Narmada ने कहा…

मिट्टी, पीतल, ताम्बा, कांसा, चाँदी, सोना किस के कलश की स्थापना का क्या प्रभाव है? क्या स्टील का लोटा/गिलास कलश के रूप में रखना सही है? कलश के आकार पर भी प्रकाश डालिए.

बेनामी ने कहा…

आभार!! aasha he aap ishi parkar hame jankari dete rahenge aage

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