Vastu Shashtra : Charbhuja Asman / Four Sides Un Equal (SK-22)


चारभुजा असमान चारभुजा असमान हो, शून्य होयगा मान । धन भी छोडे आपको, अंत होय अपमान ।। अंत होय अपमान, मान घट-घट माय घटे । जंगल-जंगल जाय, वह राम ही राम रटे ।। कह ‘वाणी’ कविराज, ढूंढे सब अनुज-अनुजा । जोड़े लंबे हाथ, मदद कर हे ! चारभुजा ।। शब्दार्थ: चार भुजा = प्लाट की चारों भुजा, माय = अन्दर, चारभुजा = चतुर्भुज भगवान (विष्णु)
भावार्थ: जिस भूखण्ड की चारों भुजाएं असमान हों वहां मान-सम्मान का ग्राफ घटता हुआ शून्य से भी काफी नीचे चला आता है। धन जाता हुआ इतना अपमानित करा देता है कि जिससे भू-स्वामी सदा अशांत रहता हुआ मात्र मनोरोगी बन कर रह जाता है। वह भाग-भाग कर जंगलों के एकांत मेंजा जा कर बैठता है।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि देर रात तक भी गृहस्वामी घर नहीं पहुंचते,छोटेभाई-बहिन सब तरफ ढूंढ कर खाली हाथ घर लौट आते हैं। अंत में हाथ जोड़कर प्रभु से ही प्रार्थना करते हैं कि हे चारभुजा नाथ! अब आप ही मदद करो, जहां भी हो उन्हें ढूंढकर घर लाओ। ऐसे भूखण्डों को आयत या वर्ग में बदलने से वेशुभ फलदायी होजाते हैं। अलग पार्टीशन कर उस टुकड़े में गार्डन इत्यादि लगा सकते हैं। ईशान कोण में गार्डन अति शुभ होते हैं।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया



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