उत्तर-दक्षिण रोड
उत्तर-दक्षिण रोड़ को, फिफ्टी-फिफ्टी जान।
वहाँ सभी है मतलबी, बचाय अपनी जान ।।
बचाय अपनी जान, जान के पड़ते लाले।
वर देखे ना कीचन, वधू दुकान के ताले।।
कह ‘वाणी’ कविराज, करो यूँ दुर्गा-शंकर ।
अपने-अपने हाल, आप दक्षिण वे उत्तर ।।
शब्दार्थ: फिफ्टी-फिफ्टी = आधा-आधा शुभाशुभ, जान के लाले = भयंकर मुसीबतें आना
भावार्थ: उत्तर-दक्षिण रोड़ वाले भूखण्ड को फिफ्टी-फिफ्टी अर्थात् अतिसामान्य श्रेणी का ही समझना चाहिए। उस परिवार के सभी सदस्य अपनी-अपनी स्वार्थ सिद्धि को पूर्ण करने में ही लगे रहते हैं। स्वयं को ही सुरक्षित रखने की होड़ में सभी अपने आप को हर पल असुरक्षित अनुभव करने लग गए हैं। पति-पत्नी में भी आए दिन विवाद चलते रहते हैं। इसका अच्छा समाधान यही है कि वर, घर की, किचन की व अन्य सामाजिक व्यवस्थाओं में अधिक हस्तक्षेप न करे और वधू वर की नौकरी या व्यवसाय आदि में कभी किसी प्रकार की बाधा न पहुँचाएं।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि हे गृहस्वामी दुर्गाशंकर! ऐसा कर लो कि आप दोनों अपने-अपने कार्यों में लगे रहो वे उत्तर दिशा में बैठते हैं तो आप दक्षिण दिशा में बैठो। वास्तु के अन्य नियमों का पालन करने से इसका प्रभाव कम पड़ जाता है।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया
5 टिप्पणियां:
हम तो फंस ही गए. उत्तर से दक्षिण जाने वाले एक मुख्य सड़क पर हमारी कालोनी है. अन्दर भी उत्तर दक्षिण सड़कें हैं जिनमें तीन तीन आमने सामने मकान बने हैं. हम क्या करें.
mahashay ji aap apni smasya ko vistar se hame bataye sath hi apni colony ka map bhi sanlagn kare taki ham achi tarha se aap ki samsya ka samadhan kar payen |
hamara e-mail pata he
E mail id:- amritwani8@gmail.com
amrit'wani'
Bahut behtar jaankari lagi.Badhai!
अच्छी जानकारी दी आपने धन्यवाद।
सर जी हमारा घर का मेन द्वार तो पश्चिम मे है। और छोटा द्वार उत्तर दिशा मैं है। ये फलदायी है या नहीं कृपया बतायें।
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