तबला जैसी भू
तबला जैसी भू जहाँ, है पूरी बेकार।
तुम सौदा कैंसिल करो, करके झटपट तार ।।
करके झटपट तार, बजा भाई तू ताली ।
नहीं तो वही प्लाट, करेगा धन से खाली ।।
कह ‘वाणी’ कविराज,बात सुनले तू अबला।
धंधा पानी छूट, पति बजायेगा तबला ।।
शब्दार्थ:: बेकार = व्यर्थ, कैंसल = निरस्त, अबला = औरत, तबला = एक प्रकार का वाद्य यंत्र
भावार्थ:
तबला जैसा भूखण्ड आवासीय दृष्टि से श्रेष्ठ नहीं होता है। ऐसा प्लाट मिल जाने पर तुम तुरन्त तार करके अपनी ओर से सौदा कैसल करने की सूचना भेजते हए खूब तालियां पीटो। आपने यदि सही समय पर यह ठोस कदम नहीं उठाया तो वही तबलाकार भूमि आपको धनहीन कर देगी।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि हे अबला! सुनो तुम हमारी बातों पर विश्वास कर लो, वर्ना वह दिन दूर नहीं, जिस दिन धन्धा-पानी सब छूट जावेगा और तुम्हें गली-गली नाचने पर और पति महोदय को तबला बजाने पर मजबूर होना पड़ेगा। जीवन में ऐसा दिन नहीं आय इसके लिए आप उसे आयताकार बनाकर ही निर्माण कार्य कराएं।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया
4 टिप्पणियां:
nice
वास्तू को कविता में उतार कर .. बखूबी पेश किया है आपने ....
Wah Maharaaj......ye prastuti badiya lagi...advise ki advise or kavita ki kavita....Aadi kavi GHAG MAHARAJ ki tarah.....
jaankaari ke liya shukriya.........kavita ke roop me aur achchha lagaa
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