Vastu Shashtra : Tribhuj Jaisa Plot / Triangular Plot (SK-19)


त्रिभुज त्रिभुज जहाँ, कहीं बने, समझ उसे त्रिशूल। दिन-दिन भारी कष्ट दे, कभी न कर तू भूल ।। कभी न कर तू भूल, होय मुकदमा बिन बात। धन का होवे धूल, धूल उड़ेगी दिन-रात ।। कह ‘वाणी’ कविराज, जेल जाय अग्रज-अनुज। बिताय चैदह साल, त्याग दे ऐसा त्रिभुज ।। शब्दार्थ: त्रिशूल = तीन प्रकार के कष्ट एकसाथ होना, अग्रज अनुज = बड़े व छोटे भाई बन्धु,चैदह साल = हत्या के अभियुक्त की सजा की अवधि
भावार्थ:
त्रिभुजाकार भूखण्ड को त्रिशूल समझ शीघ्रही त्याग देना चाहिए। उस भूमि पर निवास करने से प्रतिदिन कष्ट और बाधाएं बढ़ती जाती हैं, ऐसे प्लाट लेने की कभी भूल न करें। वहाँ छोटी-छोटी सी बात पर मुकदमें चलते हैं। धन की धूल हो जाती है। वही धूल दिन-रात उड़-उड़ कर नेत्रों व हृदय के प्रेम-पुष्पों पर जम जाती है। ‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि व्यवहार में स्वतरू ऐसी कटुता आ जाती है कि परस्पर हत्याएं तक हो जाती हैं। कभी कभी छोटे-बड़ों को जेल में चैदह-चैदह साल तक बिताने पड़ सकते हैं, इसलिये त्रिभुजाकार जमीन को त्रिशूल समझ देखते ही त्याग दें, अथवा उसे पूर्ण वर्गाकार बनाकर ही निर्माण कार्य कराएं।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया



1 टिप्पणी:

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

चलिए कुछ नयी जानकारी मिली आपके ब्लॉग पे .......!!

कॉपीराइट

इस ब्लाग में प्रकाशित मैटर पर लेखक का सर्वाधिकार सुऱक्षित है. इसके किसी भी तथ्य या मैटर को मूलतः या तोड़- मरोड़ कर प्रकाशित न करें. साथ ही इसके लेखों का किसी पुस्तक रूप में प्रकाशन भी मना है. इस मैटर का कहीं उल्लेख करना हो तो पहले लेखक से संपर्क करके अनुमति प्राप्त कर लें |
© Chetan Prakashan