चार दिशा में रोड
चार दिशा में रोड़ हो, चारों भुजा समान।
कोण सभी समकोण हो, सरल कोण सम्मान।
सरल कोण सम्मान, कर जीवन भर आराम ।
घट-घट रहता राम, श्रीराम करे सब काम ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, सब का जीवन दे मोड़।
प्लाट ऐसा लेना, जिसके हर दिशा में रोड़ ।।
शब्दार्थ: समकोण = 90 डिग्री का कोण, सरल कोण = 180डिग्री का कोण (साष्टांग दण्डवत्प्रणाम)
भावार्थ:
सर्वश्रेष्ठ प्लाट की विशेषता यह होती है कि उसकी चारों भुजाएं समान और चारों कोण समकोण होते हैं। उस भवन में रहने वालों का बहुत सम्मान बढ़ता है। सभी व्यक्ति उन्हें 180 डिग्री तक झुक-झुक सोते हुए साष्टांग दण्डवत् प्रणाम करते हैं। आवासियों के अन्तरूकरण में सत्यरूपी राम बना रहेगा, जिससे प्रसन्न होकर श्रीराम सब काम पूर्ण करते रहेंगे, क्योंकि सत्य और राम एक ही हैं।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि आवासियों का जीवन अलौकिकता की ओर बढ़ कर सफलता प्राप्त करेगा । विशेष प्रयास करते हुए आपको भी ऐसाप्लाट लेना चाहिए, जिसके हर दिशा में रोड़ हो।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया