दक्षिण-पश्चिम रोड़
दक्षिण-पश्चिम रोड़ है, है मालिक श्रीराम ।
जीवन साधारण चले, सीधा-सादा काम ।।
सीधा-सादा काम, मिले वहां दाल-रोटी।
खीर-पूड़ी के ख्वाब, रहेगी सेहत मोटी।।
कह ‘वाणी’ कविराज, आय ना संकट के क्षण।
नहीं चढ़ाव-उतार, ठीक-ठाक रहे दक्षिण ।।
शब्दार्थ: ख्वाब = स्वप्न, सेहत = स्वास्थ्य
भावार्थ:
दक्षिण-पश्चिम वाले डबल रोड़ के भूखण्ड को अति साधारण माना गया है। श्रीराम की मदद से ही जीवन-गाड़ी पार लग सकती है। साधारण-सा जीवन और व्यवसाय चलता है। दाल-रोटी समय पर मिल जाती है परंतु खीर-पूड़ी के तो,ख्वाब पर ख्वाब आते रहते हैं। यहाँ रहने वाले ठीक-ठाक स्वास्थ्य वाले निवासियों के जीवन में अधिक उतार चढ़ाव नहीं आते हैं।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि नैऋत्य मुखी भूखण्ड इस प्रकार अति साधारण फलदायक होता है, किंतु वास्तु के अन्य सिद्धांतों का पालन करने से सम्पन्नता अवश्य बढ़ेगी।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया
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