Vastu Shastra : Do Do Darwaje Rakho / Keeping Two-Two Gates (SK-41)



दो-दो दरवाजे रखो दो-दो दरवाजे रखो, होय दुगुणा काम । सौ रूपये की चीजदो, दो सौ ले लो दाम।। दो सौ ले लो दाम, सब ग्राहक हँसते जाय। हँसते-हँसते द्वार, कभी लक्ष्मीनाथ आय।। कह ‘वाणी’ कविराज, चैन का बाजा बाजे। देख-देख पंचांग, रखो तुम दो दरवाजे ।।

शब्दार्थ: चीज = कोई भी वस्तु, दाम = मूल्य, बाजे = बजना, पंचांग = मुहूर्त देखने की पुस्तक, लक्ष्मीनाथ = लक्ष्मी के पति/धनपति, चैन = प्रसन्नता/संतोष

भावार्थ:

मुख्य द्वार के पास एक छोटा दरवाजा और लगवाने से पूरे परिवार की उन्नति की दर दुगुनी हो जाती है। आय भी बढ़ती है। सौ रूपये की चीज के दो सौ रूपये ले लो तो भी भोले ग्राहक हंसते-हंसते पैसे देकर चले जाते हैं। इस प्रकार धन बढ़ता ही जाता है। किसी दिन आपके द्वार पर स्वयं लक्ष्मीनाथ भी आ जाएंगे।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि तब प्रतिदिन खुशियों के विभिन्न बाजे बजेंगे। प्रसन्नतापर्वक दिन व्यतीत करने के लिए आप मुहूर्त देख-देख कर दो-दो दरवाजे अवश्य रखें।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया



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