Vastu Shastra: Ho pas shmshan/ Crematorium At Close (SK-66)


हो पास श्मशान त्यागो तुरंत वह जमीं, यदि हो पास श्मशान। ना रहना एक दिन भी, पास हो कब्रिस्तान ।। पास हो कब्रिस्तान, प्रेत आय गेस्ट बन कर। वे डिनर लेय साथ, और रोय गले मिल कर। कह ‘वाणी’ कविराज, बिना मौत होवे अंत। प्रेत तुमको बनाय, तुमप्लाट त्यागो तुरन्त।।
शब्दार्थ: गेस्ट = मेहमान, डिनर = रात्रि का भोजन

भावार्थ:
आपके आवास के पास किसी भी दिशा में श्मशान या कब्रिस्तान होतो बने बनाये भवन को भी तुरन्तत्याग देना चाहिए। वहाँ कभी-कभी प्रेत आत्माएँ गेस्ट बन कर आया करती हैं। वे आपके साथ डिनर लेती व आपके गले से गले मिल कर खूब रोती हुई कहती हैं, हे भाई! बहुत दिन हो गए बड़ी याद आ रही है,बस आज तो आप हमारे साथ ही चल दो ।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि उस ईमारत में रहने से कभी-कभी बिना ही मौत मर कर प्रेत योनि भोगनी पड़ सकती है, इसलिए उसे तुरन्त त्यागना ही सर्वश्रेष्ठ है।यदि नहीं बिके तो उसे श्मशान घाट के शव यात्रियों के विश्राम हेतु दान दे देवें,या उस दिशा की दीवार को ऊँची करते हुए खिड़की द्वार को बन्द कर देना चाहिए ।

वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया



कोई टिप्पणी नहीं:

कॉपीराइट

इस ब्लाग में प्रकाशित मैटर पर लेखक का सर्वाधिकार सुऱक्षित है. इसके किसी भी तथ्य या मैटर को मूलतः या तोड़- मरोड़ कर प्रकाशित न करें. साथ ही इसके लेखों का किसी पुस्तक रूप में प्रकाशन भी मना है. इस मैटर का कहीं उल्लेख करना हो तो पहले लेखक से संपर्क करके अनुमति प्राप्त कर लें |
© Chetan Prakashan