Vastu Shastra: Jal Prvah/ (SK-89)




जल-प्रवाह आस-पास उसप्लाट के, देखो जल-प्रवाह। नहर-नदी-नाले बहे, देख दिशा-प्रवाह। देख दिशा-प्रवाह, पश्चिम जा स्त्री कीशान। पूर्व हानि पुत्र की, बनाय उत्तर धनवान ।। कह ‘वाणी’ कविराज, करे दक्षिण शत्रु नाश। बना टैंक ईशान, फिरे लक्ष्मी आस-पास ।।
शब्दार्थ:
प्रवाह = जल का बहाव

भावार्थ:

भूखण्ड क्रय करते समय जल-प्रवाह को भी महत्व देना चाहिए। नहर, नदी, नाले आदिपश्चिम दिशा में हों व नैऋत्य कोण की ओर बहते हों, इससे स्त्री-वर्ग की शान पर खतरा मण्डराता रहता है। ईशान से अग्नि-कोण की ओर प्रवाह होने से पुत्र-हानि की संभावना बढ़ती है। उत्तर दिशा का ईशान कोण की ओर जल-प्रवाह आपको अतिशीघ्र कई दृष्टि-कोणों से सम्पन्न बनाता है।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि दक्षिण दिशा में जल प्रवाह होने से शत्रु भय बढ़ता है। अतरू भूखण्ड खरीदतेसमय इस पर भी एक दृष्टि डालना आवश्यक प्रतीत होता है। भूखण्ड के नजदीक ऐसे कुदरती दोष होने पर ईशान कोण में एक बड़ा-सा 10-12 हजार लीटर पानी का अण्डरग्राउण्ड टैंक ईशान कोण में बनवाने से उक्त दोष का प्रभाव न्यूनतम हो जाता है।
वास्तुशास्त्री: अमृत लाल चंगेरिया




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