Vastu Shastra: Prvesh Nishedh/ Admission Prohibited (SK-84)




प्रवेश निषेध गृह-प्रवेश करना नहीं, लगे न जहाँ किवाड़। ब्राह्मण भोजन पाय के, ना दे आशीर्वाद ।। ना दे आशीर्वाद, जहाँ छत रहे अधूरी। वर्षा मूसलाधार, कहती कहानी पूरी ।। कह ‘वाणी’ कविराज, जहाँ वास्तु-पूजन शेष। भाँति-भाँति दुःख आ, करते वहाँ गृह-प्रवेश।।
शब्दार्थ: : भोजन पाय के = भोजन पाकर के, मूसलाधार = बिना रुके हुए
भावार्थ: जब तक नव निर्मित भवन में किवाड़ न लग जाएं, ब्रह्म-भोजन हो जाए और भू-देव भोजनोपरांत आशीर्वाद न दे दें तब तक गृह-प्रवेश नहीं करना चाहिए। जहाँ छत अधूरी रह गई हो और मूसलाधार वर्षा सारे अधूरेपन की पूरी कहानी जोर जोर से, पड़ोसियों को सुना-सुना कर कहती हो वहाँ न रहें। ‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि अपूर्ण निर्माण-कार्य हो, वास्तु-पूजन शेष होने पर भी उन भवनों में गृह-प्रवेश करने से भाँति-भाँति के दु:ख आपसे पहले प्रवेश कर आपका वेलकम करते हैं, और एक-दो दिन की मित्रता के बाद ही, जीवन पर्यन्त आप पर स्थाई सवारी गांठना शुरू कर देते हैं।
वास्तुशास्त्री: अमृत लाल चंगेरिया



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